Saturday, January 03, 2009

चंद शेर ...

बहुत मुश्किलसे रोक पाए है आंसू
हमें अब रोने को न कहो
मेहनतसे लाइ है होटोंपर हँसी
उसे यूंही खोने को न कहो

जाने क्यूँ मिली है सज़ा
हम तो बेगुनाह है
के इतने अपनोंके बीच भी
हम बेपनाह है

जिन्दगीने कितने सितम किए
हमेशा हमने की वफ़ा है
पर अब जिंदगीसे कहो कोई
के हम भी उससे खफा है

दर्द की नशा काफ़ी है
हमें तो खाली जाम ही मिला है
इस कदर दिल है टूटा
के न बचा कोई गिला है

खूबसूरत सपने सजाए थे हमने
न जाने किसके भरोसे
निवाले भी लुट गए थालिसे
जिन्दगीने थे जो परोसे

- प्रदन्या जोशी

4 Comments:

Anonymous Anonymous said...

khoop chhan !!

8:51 AM  
Blogger Ketan said...

Mastach ahe...

9:05 AM  
Blogger Ashish said...

Kya Khoob Kaha hai Bhai wah!

2:56 AM  
Blogger Daisy said...

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Karva chauth Sargi Pooja Thali

11:01 PM  

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